दो साल पहले भारतीय वित्तीय बाजार में तहलका मचाने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी बंदी की घोषणा कर दी है। इस खबर के बाद अदानी ग्रुप के शेयरों में उछाल देखा गया, लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि अदानी ग्रुप की समस्याएं खत्म हो गई हैं? आइए, इस पर एक नजर डालते हैं।

क्या था अदानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग का आरोप?

जनवरी 2023 में, गौतम अदानी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे। लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद वे शीर्ष 15 अमीरों की सूची से भी बाहर हो गए। इस रिपोर्ट में अदानी ग्रुप पर आरोप लगाए गए थे:

•शेयरों का 85% से ज्यादा अधिक मूल्यांकन।

•बाजार में शेयर की कीमतें बढ़ाने के लिए हेरफेर।

•₹2.2 लाख करोड़ का भारी कर्ज।

इन आरोपों के बाद कई जांच शुरू हुईं:

•भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मामले का संज्ञान लिया।

•SEBI ने जांच की, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजे सामने नहीं आए।

•हिंडनबर्ग ने SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच पर भी सवाल उठाए, उनके विनोद अदानी से कथित संबंधों को लेकर।

अमेरिका में अदानी की समस्याएं जारी

भारत में अदानी ग्रुप ने कुछ हद तक समस्याओं का सामना किया, लेकिन अमेरिका में उनकी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।

•FBI और SEC ने अदानी ग्रुप पर अमेरिकी अधिकारियों को घूस देकर बिजली आपूर्ति अनुबंध हासिल करने के आरोप लगाए हैं।

•हिंडनबर्ग के बंद होने के बावजूद यह मामला अभी भी जारी है। इसके संभावित परिणाम हैं:

1.दोषसिद्धि

2.निर्दोष साबित होना

3.जुर्माना देकर समझौता करना

हिंडनबर्ग का बिजनेस मॉडल क्या था?

हिंडनबर्ग का मॉडल विवादास्पद लेकिन प्रभावी था:

•कंपनियों में अनियमितताओं की जांच करना।

•रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले उनके शेयरों को शॉर्ट-सेल करना।

•रिपोर्ट के कारण गिरावट से मुनाफा कमाना।

•निचले स्तर पर पोजिशन कवर करना।

बंद होने की वजह?

हिंडनबर्ग के संस्थापक नाथन एंडरसन ने कहा कि बंदी का फैसला किसी धमकी या दबाव के कारण नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि 100 से ज्यादा मामलों पर अभी भी मुकदमे चल रहे हैं। एंडरसन ने अपनी जांच प्रक्रिया सार्वजनिक करने की योजना भी बनाई है ताकि अन्य लोग इस काम को जारी रख सकें।

अदानी ग्रुप की प्रतिक्रिया

हालांकि अदानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की बंदी पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन ग्रुप के CFO रोबी सिंह ने सोशल मीडिया पर एक हिंदी पोस्ट में कहा:

“कितने गाजी आए, कितने गाजी गए?”

इससे ग्रुप की आत्मविश्वास और प्रतिरोध क्षमता का संकेत मिलता है।

क्या अदानी की समस्याएं खत्म हो गई हैं?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के दो साल बाद भी अदानी ग्रुप का बाजार पूंजीकरण ₹6 लाख करोड़ कम है। हालांकि हिंडनबर्ग के बंद होने से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है, लेकिन अमेरिका में चल रही जांच और बाजार की सतर्कता यह इशारा करती है कि अदानी ग्रुप की चुनौतियां अभी समाप्त नहीं हुई हैं।

आने वाले महीनों में अदानी ग्रुप की इन चुनौतियों से उबरने और निवेशकों का भरोसा फिर से जीतने की क्षमता उनकी सफलता की कुंजी होगी।

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