नक्सल प्रभावित बस्तर में चर्चित पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया है। मुकेश, जो अपनी निष्पक्ष और आक्रामक रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे, पिछले दो दिनों से लापता थे। उनकी लाश शनिवार को एक ठेकेदार के परिसर में स्थित सैप्टिक टैंक से बरामद हुई।
कुछ दिनों पहले मुकेश को धमकी मिलने की बात सामने आई थी। इस घटना ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा और माफिया गिरोहों की बढ़ती ताकत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार
‘बस्तर जंक्शन’ यूट्यूब चैनल चलाते थे मुकेश चंद्राकर ये वो ही पत्रकार है जिसने CRPF के अगवा जवान को नक्सलियों के पास से सही सलामत वापस लाया था। मुकेश चंद्राकर ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और अन्याय को उजागर करने का काम किया था। हसदेव बचाओ संघर्ष समिति के आलोक शुक्ला ने मुकेश को एक संवेदनशील, जुझारू और शालीन पत्रकार बताते हुए कहा कि उनकी हत्या प्रदेश के लिए बेहद दुखद और स्तब्ध करने वाली घटना है। उन्होंने सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की है।
पुलिस का बयान
बस्तर के एसपी जितेंद्र यादव ने कहा, “इस जघन्य हत्या में शामिल आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा। मामले की जांच जारी है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा के प्रति प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करती है। माफिया गिरोहों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि अब वे उन पत्रकारों को निशाना बना रहे हैं जो उनके खिलाफ सच्चाई उजागर कर रहे हैं।
मुकेश चंद्राकर की हत्या से प्रदेश में पत्रकारिता जगत में शोक की लहर है। पत्रकार संगठनों और नागरिकों ने दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की है।
यह घटना न केवल पत्रकारों की सुरक्षा बल्कि कानून व्यवस्था पर भी गहरा सवाल खड़ा करती है। मुकेश चंद्राकर की जुझारू पत्रकारिता हमेशा याद की जाएगी।