केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने शिमला स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ED) के कार्यालय पर छापा मारकर 1.14 करोड़ रुपये से अधिक नकद बरामद किए हैं। यह कार्रवाई एक सहायक निदेशक स्तर के अधिकारी द्वारा रिश्वत लेने के आरोपों के तहत की गई। सूत्रों के अनुसार, आरोपी अधिकारी फरार हैं, जबकि उनके भाई को एक निजी व्यक्ति से कथित रूप से रिश्वत लेते हुए CBI ने हिरासत में लिया है।
CBI की इस कार्रवाई के बाद, ED ने शिमला शाखा से कम से कम तीन अधिकारियों का तबादला कर दिया है, जिनमें फरार सहायक निदेशक भी शामिल हैं। दिल्ली स्थित पत्रकार अरविंद गुणशेखर ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, “ED के ‘वसूली विभाग’ में बदलने के लिए सत्ता में पार्टी और पूर्व ED निदेशक को दोषी ठहराया जाना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि जब अधिकारियों ने देखा कि एजेंसी और उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, तो कुछ ने व्यक्तिगत लाभ के लिए भी एजेंसी का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। गुणशेखर ने उम्मीद जताई कि वर्तमान निदेशक अपने पूर्ववर्ती द्वारा पैदा की गई अव्यवस्था को सुधारेंगे और कानून के शासन को बहाल करेंगे।
इस मामले में, CBI ने शिमला में ED के सहायक निदेशक के कार्यालय और आवास पर छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की है। आरोप है कि अधिकारी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जांच के दौरान रिश्वत की मांग की थी। CBI ने उनके भाई को भी गिरफ्तार किया है, जो कथित रूप से इस भ्रष्टाचार में शामिल थे। इस घटना ने प्रवर्तन एजेंसियों में पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए शिमला कार्यालय के तीन अधिकारियों का तबादला कर दिया है और आश्वासन दिया है कि भ्रष्टाचार के प्रति उनकी जीरो टॉलरेंस नीति है। CBI ने फरार अधिकारी की तलाश तेज कर दी है और उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
इस घटना ने प्रवर्तन एजेंसियों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है और यह आवश्यक हो गया है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।