भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। डॉ. सिंह लंबे समय से उम्र से संबंधित बीमारियों का सामना कर रहे थे। 26 दिसंबर 2024 को अपने आवास पर अचानक बेहोश हो जाने के बाद उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता दी गई।

उन्हें रात 8:06 बजे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली के आपातकालीन कक्ष में लाया गया। चिकित्सकों ने उन्हें बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। डॉ. सिंह को रात 9:51 बजे मृत घोषित कर दिया गया। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।

राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में उनका योगदान

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी। वे देश के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने बिना किसी राजनीतिक परिवार से जुड़े होने के बावजूद लगातार दो कार्यकाल पूरे किए। इससे पहले, 1991 में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को लागू किया, जिसने भारत की आर्थिक दशा और दिशा बदल दी।

सादगी और ईमानदारी के प्रतीक

उनका जीवन सादगी और ईमानदारी का प्रतीक था। एक विद्वान के रूप में, उन्होंने राजनीति को एक नई दृष्टि दी और आर्थिक, सामाजिक और वैश्विक मंचों पर भारत को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक मंच पर भी एक अपूरणीय क्षति है। उनके द्वारा किए गए कार्य हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेंगे।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक संदेश

 भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और महान अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर देश और दुनिया भर से शोक संदेश आ रहे हैं। 92 वर्ष की आयु में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके निधन को देश ने एक युगांतकारी नेता, दूरदर्शी अर्थशास्त्री और सच्चे जनसेवक के रूप में अपूरणीय क्षति बताया है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने व्यक्त किया शोक

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह जी उन दुर्लभ नेताओं में से एक थे जिन्होंने शिक्षा और प्रशासन के क्षेत्र में समान दक्षता के साथ काम किया। उन्होंने सार्वजनिक जीवन के विभिन्न पदों पर रहते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।”

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, “डॉ. सिंह को उनकी राष्ट्र सेवा, निष्कलंक राजनीतिक जीवन और अद्वितीय विनम्रता के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनका निधन हम सभी के लिए एक बड़ी क्षति है। मैं भारत के इस महान सपूत को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं और उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं प्रकट करती हूं।”

डॉ. मनमोहन सिंह, जो भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के स्तंभ रहे, का निधन पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “भारत ने अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक को खो दिया है। साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वे एक सम्मानित अर्थशास्त्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में अमिट छाप छोड़ी। संसद में उनके विचारशील हस्तक्षेपों को याद किया जाएगा। मेरी संवेदनाएं श्रीमती कौर और परिवार के साथ हैं।”

राहुल गांधी का शोक संदेश

कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, “मैंने एक मार्गदर्शक और संरक्षक खो दिया। डॉ. मनमोहन सिंह जी ने भारत को अत्यंत बुद्धिमानी और ईमानदारी के साथ नेतृत्व दिया। उनकी विनम्रता और गहरी आर्थिक समझ ने देश को प्रेरित किया। मेरी संवेदनाएं श्रीमती कौर और उनके परिवार के साथ हैं।”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह जी का इतिहास सदैव सम्मान करेगा। उनके नेतृत्व में आर्थिक उदारीकरण और अधिकार-आधारित कल्याणकारी नीतियों ने करोड़ों भारतीयों का जीवन बदला। उन्होंने देश में एक मजबूत मध्य वर्ग का निर्माण किया और गरीबी उन्मूलन की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए। एक सच्चे विद्वान, सादगी और ईमानदारी के प्रतीक, उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अविस्मरणीय योगदान दिया। उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।”

प्रियंका गांधी वाड्रा का संदेश

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, जो डॉ. सिंह के निधन की खबर मिलते ही एम्स पहुंचीं, ने कहा, “राजनीति में बहुत कम लोग डॉ. मनमोहन सिंह जी जैसी प्रतिष्ठा अर्जित कर पाते हैं। उनकी ईमानदारी हम सबके लिए प्रेरणा है। उन्होंने देश सेवा में अपना जीवन समर्पित किया, और अपने विरोधियों की नकारात्मक आलोचनाओं के बावजूद अपने कर्तव्यों पर अडिग रहे। वे एक सच्चे लोकतांत्रिक, दूरदर्शी और दृढ़ इच्छाशक्ति के व्यक्ति थे।”

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