ओकलैंड, कैलिफ़ोर्निया के एक अदालत ने इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ व्हाट्सऐप को बड़ी जीत दिलाई है। इस मामले में एनएसओ ग्रुप को कंप्यूटर फ्रॉड एंड एब्यूज एक्ट (CFAA) और कैलिफ़ोर्निया डेटा फ्रॉड एंड एब्यूज एक्ट (CDAFA) के तहत जिम्मेदार ठहराया गया है। एनएसओ पर आरोप था कि उसने व्हाट्सऐप के सर्वरों का इस्तेमाल करके पेगासस स्पाइवेयर के जरिए उपयोगकर्ताओं की जासूसी की।

अदालत के अहम फैसले:

1.CFAA का उल्लंघन:

एनएसओ ने तर्क दिया था कि व्हाट्सऐप खातों का उपयोग करते हुए उन्हें अपनी मर्जी से सर्वर का उपयोग करने की अनुमति थी। हालांकि, अदालत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि एनएसओ ने व्हाट्सऐप सर्वरों के माध्यम से पेगासस का दुरुपयोग किया और उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा को खतरे में डाला।

2.CDAFA का उल्लंघन:

कैलिफ़ोर्निया कानून के तहत, यह आवश्यक है कि सर्वर को निशाना बनाया जाए। एनएसओ ग्रुप अदालत में पेगासस का स्रोत कोड प्रस्तुत करने में विफल रहा, जिससे अदालत ने इसे सबूत के अभाव में व्हाट्सऐप के पक्ष में फैसला सुनाया।

3.व्हाट्सऐप की सेवा शर्तों का उल्लंघन:

अदालत ने पाया कि एनएसओ ने व्हाट्सऐप की सेवा शर्तों (Terms of Service) का उल्लंघन किया है। व्हाट्सऐप की शर्तों के तहत हानिकारक कोड भेजना, उपयोगकर्ताओं की जानकारी इकट्ठा करना और अवैध गतिविधियों में शामिल होना सख्त मना है। एनएसओ ने इन सभी नियमों का उल्लंघन किया।

अब सिर्फ यह तय किया जाना बाकी है कि एनएसओ व्हाट्सऐप को कितना हर्जाना देगा। यह मामला 3 मार्च, 2025 को ओकलैंड, कैलिफ़ोर्निया में जूरी ट्रायल के साथ आगे बढ़ेगा।

पीड़ितों के लिए क्या मायने रखता है यह फैसला?

हालांकि, यह मुकदमा केवल व्हाट्सऐप और एनएसओ के बीच था, लेकिन इसका असर अन्य स्पाइवेयर कंपनियों के खिलाफ मामलों पर पड़ेगा। यह फैसला पेगासस के पीड़ितों के अनुभवों को मान्यता देता है और जासूसी सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ एक मिसाल कायम करता है।

मानवाधिकारों की रक्षा की ओर बड़ा कदम:

इस केस में कई संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने समर्थन दिया। @AccessNow और @FarellaBraun जैसे संगठनों ने अदालत में अमिक्स ब्रीफ दाखिल किए, जिसमें भारत, मोरक्को, रवांडा और टोगो के पीड़ितों की गवाही शामिल थी।

यह फैसला उन सभी पीड़ितों और मानवाधिकारों के लिए न्याय की दिशा में एक बड़ी जीत है। स्पाइवेयर कंपनियों के लिए जवाबदेही का समय नजदीक आ रहा है।

भारत में पेगासस विवाद:

पेगासस स्पाइवेयर का कथित रूप से इस्तेमाल भारत सहित कई देशों में राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों, और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए किया गया। भारत में यह आरोप लगाया गया कि इस्राइली स्पाइवेयर का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं, सुप्रीम कोर्ट के जजों, मंत्रियों और यहां तक कि राहुल गांधी जैसे प्रमुख विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया गया।

इस विवाद ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया था और सरकार की ओर से जवाबदेही की मांग को जन्म दिया। हालांकि सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है, लेकिन यह मामला अब भी चर्चा में है और लोकतंत्र, गोपनीयता, तथा मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बनकर उभरा है।

यह फैसला न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पाइवेयर के दुरुपयोग को उजागर करता है, बल्कि यह भारत और अन्य देशों में भी जासूसी के शिकार लोगों के लिए न्याय की उम्मीद जगाता है।

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