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कोरबा में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर, जनता की सेहत पर खतरा
औद्योगिक नगरी कोरबा में वायु प्रदूषण ने गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 तक पहुंच चुका है, जो बेहद खतरनाक श्रेणी में आता है। इस कारण स्थानीय जनता को अस्थमा, टीबी, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।
क्षेत्र में स्थित ताप बिजली संयंत्रों और उद्योगों द्वारा उत्सर्जित वेस्ट (कचरा) को विभिन्न स्थानों पर खुले में फेंक दिया जाता है। इससे न केवल वायु प्रदूषण बल्कि जल प्रदूषण भी फैल रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरकार को इन प्लांट्स से आर्थिक लाभ तो हो रहा है, लेकिन इसकी भारी कीमत जनता को अपनी सेहत से चुकानी पड़ रही है।
प्रदूषण से जनता की नाराजगी
कोरबा की जनता का कहना है कि प्रदूषण के चलते क्षेत्र में सांस लेने तक में दिक्कत हो रही है। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका विशेष रूप से बुरा असर पड़ रहा है। कई ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरकार ने अब तक इस समस्या को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
स्वास्थ्य पर बढ़ता संकट
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, बीते कुछ वर्षों में क्षेत्र में अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण का स्तर ऐसे ही बढ़ता रहा तो आने वाले समय में स्थिति और गंभीर हो सकती है।
सरकार से सवाल
इस मुद्दे को लेकर जनता के साथ विपक्ष ने भी सरकार को घेरा है। कोरबा की सांसद ज्योत्सना महंत ने लोक सभा में सरकार से पूछा है कि प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या से निपटने के लिए सरकार ने अब तक क्या योजनाएं बनाई हैं? उन्होंने यह भी मांग की कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए जाएं और स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाए।
सरकार की जवाबदेही जरूरी
कोरबा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की सख्त निगरानी करनी होगी और प्रदूषण नियंत्रण के नियमों को प्रभावी तरीके से लागू करना होगा। साथ ही, स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और वृक्षारोपण जैसे उपाय भी जरूरी हैं।