लगातार दूसरे साल NHRC-भारत की मान्यता स्थगित

संसद में संविधान के 75 वर्षों पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा ने NHRC की कार्यप्रणाली और उसमें नियुक्तियों की पारदर्शिता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “महत्वपूर्ण पदों पर ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति से संस्थानों की कार्यक्षमता कमजोर हुई है,” और इससे प्रभावित लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

उन्होंने NHRC का उदाहरण देते हुए इसके पूर्व अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा का जिक्र किया, जिनकी नियुक्ति के दौरान आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाए गए थे। मोइत्रा ने यह मामला लोकसभा में उठाते हुए NHRC की गिरती साख और मानवाधिकार संरक्षण में उसकी निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यह विषय देश के जागरूक नागरिकों के लिए गंभीर चिंतन का विषय है।

संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी संस्था ग्लोबल अलायंस ऑफ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस (GANHRI) ने लगातार दूसरे साल भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की मान्यता को स्थगित कर दिया है। इस निर्णय के कारण भारत की मानवाधिकार परिषद (UNHRC) और कुछ अन्य संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) निकायों में वोट देने की क्षमता सीमित हो सकती है।

पृष्ठभूमि और कारण:

9 मार्च 2023 को, गैर-सरकारी संगठनों के एक समूह ने GANHRI को पत्र लिखकर NHRC की स्थिति की समीक्षा करने का अनुरोध किया था। उन्होंने NHRC पर स्वतंत्रता, बहुलवाद, विविधता और जवाबदेही की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि यह संस्था संयुक्त राष्ट्र के पेरिस सिद्धांतों (Paris Principles) का उल्लंघन करती है।

GANHRI ने नागरिक समाज की आपत्तियों और भारत में मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े मामलों का संज्ञान लेते हुए पाया कि NHRC अपने अधिदेश को प्रभावी रूप से पूरा करने में विफल रहा है। इसके चलते NHRC की ‘A’ श्रेणी की मान्यता को 12 महीने के लिए स्थगित कर दिया गया NHRC पर उठे सवाल:

1.स्वतंत्रता और निष्पक्षता:

NHRC पर स्वतंत्रता और निष्पक्षता की कमी के आरोप हैं। इसका नेतृत्व अक्सर उच्च पदस्थ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के हाथों में रहा है, जो सरकार से जुड़ाव रखते हैं।

2.विविधता और प्रतिनिधित्व की कमी:

NHRC के संचालन में सामाजिक और क्षेत्रीय विविधता का अभाव है, जो कि पेरिस सिद्धांतों के अनुसार आवश्यक है।

3.महत्वपूर्ण मामलों पर निष्क्रियता:

•बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई पर NHRC की चुप्पी।

•चुनावी हिंसा और पंचायत चुनावों में अनियमितताओं पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया।

GANHRI का निर्णय और प्रभाव:

GANHRI द्वारा NHRC को ‘A’ श्रेणी की मान्यता से वंचित किए जाने का अर्थ है कि अब भारत UNHRC और अन्य वैश्विक मंचों पर पूर्ण सदस्यता और वोटिंग अधिकार का उपयोग नहीं कर सकेगा। ‘B’ श्रेणी में रहने से NHRC केवल सीमित भूमिका निभा पाएगा ।

NHRC के अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त:

NHRC के अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस अरुण मिश्रा का कार्यकाल हाल ही में समाप्त हुआ है। उनकी नियुक्ति के दौरान आयोग की कार्यप्रणाली और निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए गए थे।

NHRC पर सवाल देश की मानवाधिकार स्थिति और वैश्विक मंचों पर भारत की साख को प्रभावित कर सकते हैं। GANHRI के इस निर्णय के बाद NHRC को अपनी संरचना और कार्यप्रणाली में सुधार करना होगा ताकि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप वह काम कर सके।

 

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