भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का आरोप लगाया है। पार्टी ने दावा किया है कि अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट और उसके सहयोगी संस्थान, जैसे यूएसएआईडी (USAID), जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर फाउंडेशन, इस साजिश के पीछे हैं। बीजेपी ने कहा कि इन संस्थानों ने संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) को फंडिंग दी, जो भारत में “गहराई से छिपे एजेंडे” को अंजाम देने का एक माध्यम बन गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स पर उठाए सवाल
बीजेपी ने गुरुवार (5 दिसंबर, 2024) को X (पूर्व में ट्विटर) पर एक श्रृंखला में पोस्ट करते हुए कहा कि फ्रांस के मीडिया ग्रुप मीडियापार्ट ने खुलासा किया है कि OCCRP को 50% फंडिंग सीधे अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट से मिलती है। बीजेपी का कहना है कि OCCRP का इस्तेमाल “डीप स्टेट” एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य भारत को अस्थिर करना और प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाना है।
राहुल गांधी पर निशाना
बीजेपी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की विदेश यात्राओं को भी इस साजिश से जोड़ा है। पार्टी ने कहा कि राहुल गांधी की अमेरिका और ब्रिटेन की बार-बार यात्राएं इस संबंध को और मजबूत करती हैं। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले साल उज्बेकिस्तान की “गुप्त यात्रा” के दौरान, यूएसएआईडी की प्रशासक सामंथा पावर भी वहां मौजूद थीं।
बीजेपी ने अपने पोस्ट में कहा, “डीप स्टेट एक विनाशकारी ताकत है, जिसने केवल अस्थिरता और तबाही लाई है। इसका स्पष्ट उद्देश्य भारत को कमजोर करना और मोदी सरकार को गिराना है।”
कांग्रेस पर विदेशी एजेंडे पर निर्भरता का आरोप
बीजेपी ने आरोप लगाया कि पिछले चार वर्षों में कांग्रेस ने जिन भी मुद्दों पर बीजेपी पर हमला किया, वे सभी विदेशी स्रोतों और रिपोर्ट्स पर आधारित थे। पार्टी ने कहा कि पेगासस जासूसी मामला, अदाणी समूह विवाद, जाति जनगणना, ‘लोकतंत्र खतरे में’, ग्लोबल हंगर इंडेक्स, धार्मिक स्वतंत्रता और प्रेस स्वतंत्रता जैसे मुद्दों के पीछे विदेशी संगठनों और उनकी रिपोर्ट्स का हाथ है।
कांग्रेस का जवाब
हालांकि, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि बीजेपी ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की गिरती साख पर ध्यान देना चाहिए, न कि विपक्ष को बदनाम करने की कोशिश करनी चाहिए।
यह विवाद भारतीय राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप और उसकी भूमिका को लेकर एक नई बहस को जन्म दे सकता है। वहीं, सरकार और विपक्ष के बीच यह टकराव आने वाले दिनों में और तेज होने की संभावना है।