महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और उनके परिवार को बड़ी राहत मिली है। बेनामी संपत्ति लेनदेन अपीलीय ट्रिब्यूनल ने उनके खिलाफ बेनामी संपत्ति के आरोपों को खारिज कर दिया है। ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद आयकर विभाग ने 6 दिसंबर, शुक्रवार को 2021 में जब्त की गई ₹1,000 करोड़ से अधिक की संपत्तियों को मुक्त कर दिया।

यह मामला 7 अक्टूबर, 2021 का है, जब आयकर विभाग ने अजीत पवार और उनके परिवार से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। आरोप था कि पवार परिवार ने बेनामी लेनदेन के माध्यम से संपत्तियां हासिल की थीं। जब्त की गई संपत्तियों में महाराष्ट्र के सतारा में जारंडेश्वर शुगर फैक्ट्री, गोवा में एक रिसॉर्ट, दिल्ली में एक फ्लैट और महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में जमीन के कई टुकड़े शामिल थे।

ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा कि बेनामी संपत्ति के दावों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले। ट्रिब्यूनल ने पाया कि जिन संपत्तियों की जांच की गई, उनके लिए सभी भुगतान कानूनी माध्यमों, जैसे बैंक हस्तांतरण या अन्य वैध तरीकों से किए गए थे।

ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट किया, “ऐसे कोई प्रमाण नहीं हैं जो यह साबित करते हों कि अजीत पवार या उनके परिवार ने बेनामी संपत्तियां हासिल करने के लिए धन का हस्तांतरण किया।”

पवार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पाटिल ने दलील दी कि पवार परिवार ने कोई गलत काम नहीं किया है और लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार और कानूनन अस्थिर थे। उन्होंने बताया कि सभी संपत्ति लेनदेन वैध तरीकों, विशेष रूप से बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से किए गए थे, और रिकॉर्ड में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं पाई गई।

ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि आयकर विभाग द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य पवार परिवार और बेनामी संपत्तियों के बीच कोई संबंध स्थापित करने में विफल रहे।

गौरतलब है कि यह फैसला ऐसे समय आया है जब अजीत पवार ने हाल ही में महायुति गठबंधन के भीतर राजनीतिक बातचीत के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

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