केंद्र सरकार द्वारा 2019 में डिज़ाइन की गई एक सोलर पावर नीलामी ने प्रतिस्पर्धा को हतोत्साहित करते हुए अदानी समूह को हजारों करोड़ रुपये के महंगे बिजली अनुबंध हासिल करने का मौका दिया। यह अनुबंध अगले 25 वर्षों तक सुनिश्चित खरीदारी की गारंटी देता है।
यह खुलासा द रिपोर्टर्स कलेक्टिव की जांच में हुआ है, जिसमें दिखाया गया कि केंद्र सरकार, ऊर्जा मंत्रालय, अक्षय ऊर्जा मंत्रालय और सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने अदानी समूह के पक्ष में नीलामी की शर्तों को अनुकूलित किया। इसके तहत, अदानी समूह ने 8 गीगावाट बिजली आपूर्ति का अनुबंध हासिल किया, जबकि उसने केवल 4 गीगावाट के लिए बोली लगाई थी।
नीलामी की विशेष शर्तें
2018 में, SECI ने सोलर उपकरण निर्माण को बिजली उत्पादन के साथ जोड़ते हुए एक नई निविदा प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया के तहत, केवल वही कंपनियां भाग ले सकती थीं जो सोलर उपकरण निर्माण और बिजली उत्पादन दोनों में थीं। भारत में इस पैमाने पर काम करने वाली कंपनियों की संख्या बेहद कम थी, और अदानी समूह उनमें से एक था।
SECI ने 6 गीगावाट बिजली खरीदने और 2 गीगावाट सोलर उपकरण निर्माण की पेशकश की। नीलामी की शर्तों के अनुसार, विजेता कंपनियां उच्चतर कीमतों पर बिजली बेचकर अपने निर्माण संयंत्रों की लागत और मुनाफा कमा सकती थीं।
प्रतिस्पर्धा की कमी
नीलामी में केवल तीन कंपनियां – अदानी समूह, अज़्योर पावर इंडिया लिमिटेड और नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड – शामिल थीं। अज़्योर और नवयुग की बोली प्रक्रिया ने अदानी को फायदा पहुंचाया। नवयुग ने उच्चतम कीमत की बोली लगाई और हार गया। इस बीच, यह अदानी समूह के साथ आंध्र प्रदेश के कृष्णापटनम बंदरगाह में हिस्सेदारी बेचने के सौदे में भी शामिल था।
नवयुग के बाहर होने के बाद, अज़्योर और अदानी ने निविदा जीती। अदानी ने नीलामी के बाद बिना किसी प्रतिस्पर्धा के अतिरिक्त 4 गीगावाट बिजली आपूर्ति का अनुबंध भी प्राप्त कर लिया।
आरोप और विवाद
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, अज़्योर पावर और अदानी समूह ने राज्य सरकार के अधिकारियों को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत देकर महंगी बिजली खरीदने के लिए समझौते किए।
इसके अलावा, नीलामी की शर्तों के तहत बिजली की शुरुआती कीमतें ₹2.92 प्रति यूनिट तय की गई थीं, जिसे बाद में अदानी और अज़्योर ने घटाकर क्रमशः ₹2.54 और ₹2.42 कर दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस उच्च कीमत पर अनुबंध करना लंबे समय में उपभोक्ताओं के लिए नुकसानदायक होगा।
सरकार और नियामकों की भूमिका
केंद्र सरकार और SECI की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऊर्जा नियामक, केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (CERC), ने विवादास्पद शर्तों की समीक्षा से इनकार करते हुए इसे सरकार का “नीतिगत निर्णय” बताया।
विपक्षी नेताओं और ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रक्रिया में “आत्मनिर्भर भारत” अभियान के नाम पर उपभोक्ताओं को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
आरोपों पर अदानी और अज़्योर की प्रतिक्रिया
अदानी समूह ने इन आरोपों को “बेबुनियाद” बताया है और कहा कि वह “पारदर्शिता और नियामकीय अनुपालन के उच्चतम मानकों का पालन करता है।” अज़्योर ने भी अमेरिकी अधिकारियों के साथ सहयोग की बात कही है।
यह विवाद दर्शाता है कि कैसे सोलर नीलामी की प्रक्रिया को सरकारी हस्तक्षेप और बड़े खिलाड़ियों के पक्ष में मोड़ा गया, जिससे आम उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। विशेषज्ञ इस प्रक्रिया में व्यापक सुधार की मांग कर रहे हैं।