किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों को लेकर “दिल्ली चलो” आंदोलन के तहत दिल्ली की ओर कूच किया। नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर लगे बैरिकेड्स तोड़ने के प्रयास से तनाव बढ़ गया, जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा योजना लागू की। सीमाओं पर भारी पुलिस बल, कांटेदार तार, और कंक्रीट के अवरोधक लगाए गए हैं।

सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था

गाजीपुर, सिंघु, और टिकरी बॉर्डर पर विशेष सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह देते हुए यातायात एडवाइजरी जारी की है। मेट्रो सेवाओं को सामान्य बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस ने कहा है कि किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए अस्थायी जेलें तैयार हैं।

किसानों की प्रमुख मांगें हैं:

•MSP की कानूनी गारंटी।

•स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना।

•पुराने किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेना।

•हाल की घटनाओं में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और राहत।

सरकार और किसानों के बीच बातचीत हुई, जिसमें अधिकारियों ने 7 दिन का समय मांगा है। किसानों ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि जब तक ठोस समाधान नहीं निकलता, दिल्ली की सीमाओं पर उनका धरना जारी रहेगा ।

किसान नेता टिकैत का बयान

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का दिल्ली आना स्वाभाविक है, क्योंकि फैसले लेने वाले मंत्री और अधिकारी यहीं स्थित हैं। टिकैत ने आंदोलन को जायज़ ठहराते हुए कहा कि किसान अपने अधिकारों और मांगों के लिए दिल्ली आए हैं, और सरकार को जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए ।

आगे की योजना

किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं करती, तो आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रदर्शन, 2020-2021 के किसान आंदोलन की याद दिला रहा है, जब दिल्ली की सीमाओं पर लंबा धरना चला था। फिलहाल, दिल्ली और आसपास के इलाकों में सामान्य जीवन प्रभावित हो रहा है, और लोग सरकार और किसानों के बीच समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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