कोरबा। शहर के एक निजी अस्पताल में डिलीवरी के बाद एक महिला की मौत से हंगामा मच गया। मृतक महिला सृष्टि शर्मा के पति अविनाश कुमार ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया है। परिजनों ने इस मामले की शिकायत सिविल लाइन थाना में दर्ज कराई है। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
घटना का विवरण
अविनाश कुमार, जो रेलवे कर्मचारी हैं, ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी को डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था। डॉक्टरों ने उन्हें सिजेरियन ऑपरेशन कराने की सलाह दी, जिसे उन्होंने सहमति दे दी। ऑपरेशन के बाद अस्पताल प्रबंधन ने अविनाश को बताया कि बेटी का जन्म हुआ है और उनकी पत्नी की हालत ठीक है।
अविनाश का आरोप है कि ऑपरेशन के बाद न तो उन्हें बच्ची का चेहरा दिखाया गया और न ही स्पष्ट जानकारी दी गई। जब वह मिठाई लेने गए थे, तब लौटने पर उन्हें बताया गया कि उनकी पत्नी को आईसीयू में शिफ्ट किया गया है। इसके कुछ घंटे बाद, अस्पताल ने जानकारी दी कि उनकी पत्नी की मौत हो गई है।
अस्पताल प्रबंधन का बयान
अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आर. पालीवाल ने बताया कि मरीज सृष्टि शर्मा की बच्चेदानी में पानी की कमी थी और ऑक्सीजन व रक्त प्रवाह भी कम था। सिजेरियन ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया था, और ब्लीडिंग की कोई समस्या नहीं हुई थी। डॉक्टर ने कहा कि रात करीब 12 बजे अचानक महिला की हालत बिगड़ी और मौत हो गई।
डॉ. पालीवाल के अनुसार, मरीज का ब्लड प्रेशर कम था और उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उन्होंने दावा किया कि इलाज के हर कदम की जानकारी परिजनों को दी गई थी और उनके हस्ताक्षर भी लिए गए थे।
परिजनों का आरोप और जांच जारी
मृतका के पति अविनाश ने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मर्ग कायम कर नायब तहसीलदार के माध्यम से न्यायिक जांच शुरू कर दी है।
सिविल लाइन थाना के टीआई प्रमोद डनसेना ने कहा, “परिजनों की शिकायत पर मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद ही उचित कार्रवाई की जाएगी।”
कोरबा में बढ़ रही मौतों से सवाल खड़े
पिछले कुछ दिनों में कोरबा जिले में प्रसूताओं और नवजात शिशुओं की मौत के कई मामले सामने आए हैं। सोमवार को करतला में जुड़वा बच्चों सहित उनकी मां की मौत हुई थी, वहीं अगले दिन कोरवा जनजाति के एक नवजात की प्रसव आम्बुलेंस में हुई पर उसकी हो मौत हुई। बीते पांच दिनों में जिले में 3 नवजात और 2 प्रसूताओं की मौत हो चुकी है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं कि शहर में मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद लोग निजी अस्पतालों पर क्यों निर्भर हो रहे हैं? क्या सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में कमी है या निजी अस्पतालों में मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है?
जांच जारी है, लेकिन इस मामले ने शहर में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर बहस छेड़ दी है।