मणिपुर में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को बड़ा झटका लगा है। नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है। एनपीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के. संगमा ने रविवार (17 नवंबर, 2024) को भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को लिखे एक पत्र में इस फैसले की जानकारी दी।

कॉनराड संगमा ने लिखा, “मणिपुर सरकार राज्य में संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है। बीते दिनों में स्थिति और बिगड़ी है, जिसमें कई निर्दोष लोगों की जान चली गई। राज्य के लोग भारी पीड़ा से गुजर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मौजूदा हालात को देखते हुए एनपीपी ने तत्काल प्रभाव से बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने का निर्णय लिया है।”

एनपीपी, भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और उत्तर-पूर्व लोकतांत्रिक गठबंधन (नेडा) की प्रमुख घटक पार्टी है। मणिपुर विधानसभा में एनपीपी के सात विधायक हैं।

मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष ने दिया इस्तीफे की पेशकश

रविवार (17 नवंबर, 2024) को मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष केशम मेघाचंद्र सिंह ने जरूरत पड़ने पर विधायक पद से इस्तीफा देने की पेशकश की। उन्होंने कहा, “यदि लोग नए जनादेश के माध्यम से शांति लाना चाहते हैं, तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं।”

मेघाचंद्र सिंह वांगखेम निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और कांग्रेस के पांच विधायकों में से एक हैं।

इंफाल घाटी में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मणिपुर के मंत्रियों और विधायकों पर इस्तीफे का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। यह दबाव तब बढ़ा जब 11 नवंबर को चरमपंथियों द्वारा अपहृत महिलाओं और बच्चों के छह शव बरामद किए गए।

शनिवार (16 नवंबर, 2024) की रात हिंसक भीड़ ने कम से कम 15 विधायकों के घरों को आग के हवाले कर दिया। इसमें कांग्रेस विधायक ठोकचोम लोकेश्वर सिंह (खुंद्रकपम निर्वाचन क्षेत्र) का घर भी शामिल है। सबसे अधिक नुकसान भाजपा के पीडब्ल्यूडी मंत्री गोविंदास कोंथौजम के घर को हुआ है।

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मामले में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “भाजपा राज्य को जलने देना चाहती है। मौजूदा हिंसा के लिए भाजपा की नीतियां जिम्मेदार हैं।”

मणिपुर में स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। राजनीतिक उथल-पुथल और सामाजिक अशांति ने राज्य को एक वर्ष से भी अधिक समय से गहरे संकट में है।

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