नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने पुष्टि की है कि 2019 में एक महत्वपूर्ण बैठक उद्योगपति गौतम अडानी के दिल्ली स्थित घर में हुई थी, जिसमें एनसीपी के भाजपा को समर्थन देने की संभावनाओं पर चर्चा की गई थी। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, एनसीपी नेता अजित पवार और स्वयं शरद पवार भी शामिल थे। यह जानकारी शरद पवार ने वरिष्ठ पत्रकार श्रीनिवासन जैन के साथ बातचीत के दौरान साझा की।
शरद पवार की यह टिप्पणी महाराष्ट्र की राजनीति में पहले से ही गरमा रही इस मुद्दे को और भड़का सकती है। एनसीपी के नेता अजित पवार ने न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट को दिए एक साक्षात्कार में इस बैठक का खुलासा किया था। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने वाले हैं, और विपक्षी दलों ने इस बैठक को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार “अडानी की सरकार” है और अडानी, भाजपा को समर्थन जुटाने के लिए एनसीपी में फूट डालने में मदद कर रहे हैं।
गौरतलब है कि नवंबर 2019 में अजित पवार ने पहली बार एनसीपी से अलग होकर कुछ विधायकों के साथ भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की थी। हालांकि, यह गठबंधन केवल 80 घंटे तक ही चला और अधिकतर विधायक फिर से एनसीपी में लौट आए। इसके बाद जुलाई 2023 में अजित पवार ने एक बार फिर पार्टी को विभाजित कर दिया।
तो आखिरकार, शरद पवार ने 2019 में इस बैठक में शामिल होने का निर्णय क्यों लिया? वरिष्ठ पवार के अनुसार, उनके कुछ पार्टी सहयोगियों पर केंद्रीय एजेंसियों के मामले दर्ज थे। उन नेताओं को भरोसा था कि यदि वे भाजपा में शामिल होते हैं, तो उन पर दर्ज मामले वापस हो सकते हैं। शरद पवार का कहना है कि उन्होंने शुरू में इसका विरोध किया, क्योंकि उन्हें भरोसा नहीं था कि भाजपा अपना वादा निभाएगी। लेकिन उनके सहयोगियों ने उन्हें कहा कि “क्यों न इसे सीधे उनसे सुना जाए”। यही कारण था कि वे गौतम अडानी के घर पर आयोजित इस डिनर में शामिल हुए, जिसमें अमित शाह भी मौजूद थे।
पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि गौतम अडानी इस राजनीतिक चर्चा में शामिल नहीं थे, बल्कि केवल मेज़बानी कर रहे थे। लेकिन इस सवाल ने ज़रूर जन्म लिया है कि ऐसी महत्वपूर्ण बैठक के लिए अडानी के घर का ही चुनाव क्यों किया गया और भारत के गृह मंत्री अमित शाह इस बैठक में क्यों शामिल थे?