जलाराम बापा के जीवन का मूलमंत्र था “सेवा ही धर्म है”

कोरबा: महान संत और समाजसेवी जलाराम बापा की 225वीं जयंती अवसर पर श्री जलाराम सेवा समिति और सर्व गुजराती समाज द्वारा शुक्रवार को भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। जलाराम मंदिर परिसर में महा आरती के पश्चात महाप्रसाद भंडारा का आयोजन हुआ।

दोपहर 3 बजे संत जलाराम की शोभायात्रा नंदलाल भाई जेठवा के प्रतिष्ठान सेफ एक्सप्रेस स्टेडियम रोड टीपी नगर से निकाली गई जो मुख्य मार्ग से होते हुए डीडीएम रोड स्थित जलाराम मंदिर पहुंची। शोभायात्रा में गुजराती समाज की महिलाओं,पुरुषों और युवाओं ने हर्षौल्लास के साथ हिस्सा लिया। इस दौरान भजन कीर्तन और रास शोभायात्रा के मंदिर पहुंचते तक चलता रहा।

इससे पूर्व आज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर में विराजित श्री विग्रहो का वस्त्र बदला गया जिसके दाता स्व. जयंती भाई देवजी भाई पटेल अग्रसेन मार्ग कोरबा रहे। सुबह 9.30 बजे जलाराम बापा का अभिषेक पूजन, अखंड दीप प्रागट्य किया गया।

शाम 6.30 बजे दैनिक पूजा-आरती पश्चात जलाराम बापा की महाआरती की गई। रात्रि 7.30 बजे से महाप्रसाद भंडारा का आयोजन पीयूष भाई नितिन भाई राठौड़ व कल्पेश भाई नितिन भाई राठौड़ (पीयूष सीट मेकर्स) तरफ से हुआ। जलाराम सेवा समिति के किशोर भाई पटेल ने गुजराती समाज के सभी सदस्यों का आयोजन में शामिल होने के लिए आभार व्यक्त किया गया।

अन्नदान और उनके चमत्कार

जलाराम बापा के जीवन का मूलमंत्र था “सेवा ही धर्म है.” .
जलाराम बापा ने अपने जीवनकाल में अन्नदान की परंपरा को अत्यधिक महत्व दिया. उन्होंने सदाव्रत नामक भोजनालय की स्थापना की. यहां जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराया जाता था. उन्होंने अपना पूरा जीवन अन्नदान और लोगों की सेवा में अर्पित कर दिया. ऐसा कहा जाता है कि जलाराम बापा (Jalaram Bapa) के सदाव्रत में कभी अन्न की कमी नहीं होती थी. भले ही लाखों लोगों को भोजन करा दें फिर भी वहां अन्न के भंडार हमेशा भरे रहते थे. भक्तों का मानना था कि उनके पास चमत्कारिक शक्तियां थीं. उनके जीवन में कई चमत्कारिक घटनाएं घटीं, जिनसे उनकी महिमा और भी बढ़ी. एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, एक बार अकाल के समय उन्होंने हजारों लोगों को भोजन कराया और फिर भी उनके अन्न भंडार में कमी नहीं आई.

शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति योगदान

शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी जलाराम बापा ने अहम योगदान दिया. उन्होंने समाज में शिक्षा का प्रचार किया और साथ ही जरूरतमंदों के लिए चिकित्सा सहायता भी उपलब्ध करवाई. वे समाज में समानता और सद्भावना के पक्षधर थे, और उन्होंने हर जाति, धर्म और वर्ग के लोगों की मदद की. उनका जीवन हमें निःस्वार्थ सेवा, परोपकार, और दया का संदेश देता है. समाज के उत्थान के लिए उनका योगदान अनमोल है और आज भी उनके अनुयायी उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. जलाराम बापा (Jalaram Bapa) की शिक्षाएं और योगदान समाज में आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं और हमें सिखाते हैं कि सच्ची भक्ति और सेवा कैसे की जाए.

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