पटना में सबसे ज्यादा मिलावट; पॉलिश की हुई हल्दी की जड़ों में सबसे ज्यादा प्रदूषण, उसके बाद ढीली पिसी हुई हल्दी

एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत, नेपाल और पाकिस्तान में बिकने वाली हल्दी में सीसे का स्तर कई गुना अधिक पाया गया है। अध्ययन, जो साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित हुआ, ने खुलासा किया कि भारत के पटना और पाकिस्तान के कराची और पेशावर से लिए गए नमूनों में सीसे का स्तर 1,000 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम (μg/g) से अधिक था। गुवाहाटी और चेन्नई में भी यह स्तर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक पाया गया।

FSSAI के अनुसार हल्दी में सीसे की सीमा

खाद्य सुरक्षा और मानक (प्रदूषक, विषाक्त पदार्थ और अवशेष) विनियम, 2011 के तहत हल्दी में सीसे की अधिकतम सीमा 10 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम (μg/g) निर्धारित की गई है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लिखा कि इन स्तरों पर सीसे युक्त हल्दी का सेवन पूरे क्षेत्र में सीसा विषाक्तता का कारण बन सकता है, खासकर बच्चों में।

सीसा एक भारी धातु है जो कैल्शियम की तरह हड्डियों में जमा हो जाता है और मानव में चयापचय प्रक्रियाओं को बाधित करता है, जिससे बुद्धिमत्ता पर असर पड़ता है और हृदय रोग, किडनी फेल्योर और समय से पहले मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों में 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर के रक्त सीसे का स्तर 1 IQ बिंदु के नुकसान से जुड़ा है।

अध्ययन की प्रमुख बातें

दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल के 23 प्रमुख शहरों से हल्दी के नमूने एकत्र किए गए। विश्लेषण में पाया गया कि 14 प्रतिशत नमूनों में सीसे का स्तर 2 μg/g से अधिक था, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सीसे का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है। भारत के पटना और गुवाहाटी में अधिकतम सीसे का स्तर क्रमशः 2,274 μg/g और 127 μg/g पाया गया। दोनों स्थानों से नमूने बिहार से प्राप्त किए गए थे।

सबसे ज्यादा प्रदूषित पॉलिश की हुई हल्दी की जड़ें

पॉलिश की हुई हल्दी की जड़ों में सबसे अधिक सीसे की मात्रा पाई गई, इसके बाद ढीली पिसी हल्दी, पैक्ड ब्रांडेड पाउडर और बिना पॉलिश की जड़ों का स्थान था। अध्ययन में यह भी पाया गया कि ढीले, कम नियंत्रित मसाले पैकेज हल्दी की तुलना में अधिक संभावना से मिलावट के शिकार होते हैं।

सीसे के स्रोत की पहचान

अध्ययन के अनुसार, हल्दी के नमूनों में सीसे का सबसे संभावित स्रोत लेड क्रोमेट था, जो एक पीला रंगद्रव्य है जिसका उपयोग पेंट, रबर, प्लास्टिक और सिरेमिक कोटिंग्स में किया जाता है। कई देशों में सीसे वाले क्रोमेट से मिलावट की गई मसालों का संबंध सीसा विषाक्तता से है, जिसमें बांग्लादेश और संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल हैं।

अध्ययन का निष्कर्ष

अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया कि इन क्षेत्रों में हल्दी की आपूर्ति श्रृंखला में सीसे की मिलावट की समस्या का पता लगाने और इसे नियंत्रित करने के लिए आगे के प्रयासों की आवश्यकता है।

“अपने और अपने बच्चों के लिए कृपया रक्त में सीसे के स्तर की जाँच करवाएं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में हल्दी का उपयोग केवल मसाले के रूप में नहीं होता, बल्कि इसे “औषधीय अनुपूरक” के रूप में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, जबकि इसके लिए कोई वस्तुनिष्ठ प्रमाण नहीं है। भारत में स्वस्थ जीवन जीना मुश्किल हो जाता है, जब स्वास्थ्य देखभाल और जन स्वास्थ्य जागरूकता को तुच्छ समझा जाता है।” -डॉ. एबी फिलिप्स, हेपेटोलॉजिस्ट और क्लिनिकल वैज्ञानिक

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