नई दिल्ली: 8 नवंबर, 2016 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित करते हुए नोटबंदी की घोषणा की थी। सरकार ने इसे काले धन, नकली मुद्रा और आतंकवादी वित्तपोषण को समाप्त करने के लिए एक बड़ा कदम बताया था। हालांकि, आठ साल बाद, देश में नकदी का उपयोग पहले से भी अधिक हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट के अनुसार, आज भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन 2016 से कहीं अधिक है, और नकली मुद्रा में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नोटबंदी को एक “असफलता” करार देते हुए इसे गरीबों और किसानों पर “हमला” बताया। राहुल गांधी का कहना है कि इस फैसले ने छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) और असंगठित क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिससे बड़े उद्योगपतियों को लाभ हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि डर के माहौल और अनुचित नीतियों के कारण भारत की आर्थिक संभावनाएं कमजोर हुई हैं।
राहुल ने एक बार फिर नोटबंदी को ‘विनाशकारी’ करार देते हुए कहा कि भारत को एक नई आर्थिक नीति की जरूरत है, जो व्यापार में स्वतंत्रता और समानता को बढ़ावा दे, ताकि देश में छोटे और मध्यम व्यापारियों को सशक्त किया जा सके ।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि नोटबंदी से डिजिटल भुगतान में कुछ बढ़ोतरी हुई, लेकिन नकदी पर निर्भरता कम नहीं हुई। RBI के आंकड़ों के मुताबिक, नोटबंदी के बाद नकदी में वृद्धि हुई है और नकली नोटों में भी बढ़ोतरी हुई है, जिससे सरकार की इस पहल की सफलता पर सवाल उठ रहे हैं।