प्रख्यात हेपेटोलॉजिस्ट और नकली उपचारों के खिलाफ जागरूकता फैलाने वाले डॉ. एबी फिलिप्स ने एक बार फिर अपने सोशल मीडिया पर नकली और अवैज्ञानिक चिकित्सा उपचारों के घातक परिणामों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने एक मरीज के मामले का उल्लेख किया, जो क्रॉनिक किडनी डिजीज के कारण डायलिसिस पर था और एक आयुर्वेदिक “किडनी विशेषज्ञ” ने उसे यह कहकर गुमराह किया कि वह किडनी ट्रांसप्लांट से बच सकता है।
डॉ. फिलिप्स ने बताया कि यह एक आम मामला है, जहां मरीज आयुर्वेदिक उपचारों की जटिल हर्बल दवाओं का सेवन करते हैं, जिनके न तो कोई वैज्ञानिक प्रमाण हैं, न ही सुरक्षा संबंधी आंकड़े। “लोगों का इलाज लैब के चूहों की तरह किया जा रहा है,” उन्होंने टिप्पणी की।
इस मामले में मरीज को कई आयुर्वेदिक दवाइयां दी गईं, जिसके कारण उसे गंभीर लिवर इंजरी हो गई। परिवार को यह यकीन दिलाया गया कि किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन अब इस मरीज को न केवल किडनी ट्रांसप्लांट, बल्कि लिवर फेलियर के चलते लिवर ट्रांसप्लांट की भी जरूरत पड़ सकती है।
उन्होंने कहा, “आयुर्वेदिक चिकित्सक दावा करते हैं कि उन्होंने अपने हर्बल उपचारों से कभी लिवर इंजरी का मामला नहीं देखा है, इसलिए वे मानते ही नहीं कि हर्बल दवाएं नुकसान पहुंचा सकती हैं। लेकिन असलियत यह है कि जब मरीजों को गंभीर साइड इफेक्ट्स होते हैं, तो वे चिकित्सक, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, हेपेटोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट या डर्मेटोलॉजिस्ट के पास पहुंचते हैं।”
डॉ. फिलिप्स ने मीडिया की भी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे गंभीर मुद्दों को सामने लाने के बजाय मीडिया किंग चार्ल्स के भारत के किसी आयुर्वेदिक रिसॉर्ट में जादुई इलाज की यात्रा को कवर कर रही है। उन्होंने कहा, “अवैज्ञानिक पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को महिमामंडित करने से भारत की छवि और विश्वसनीयता को नुकसान हो रहा है।”
अंत में उन्होंने मरीज की गंभीर स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि उसके लिवर की स्थिति और बिगड़ती है, तो उसे डबल ऑर्गन (किडनी और लिवर) ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ेगी, जो आसान नहीं है।