कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। खड़गे ने आरोप लगाया कि “सबका साथ, सबका विकास” का नारा देने वाली भाजपा सरकार के कार्यों में सामाजिक न्याय के मूल सिद्धांतों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने इसे एक आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर तथ्य व आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बड़े पैमाने पर शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं, जिसमें अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षित पदों की स्थिति बेहद खराब है।

खड़गे के अनुसार, 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 18,940 स्वीकृत पदों में से 27% शिक्षकों के पद खाली हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षित वर्गों के लिए निर्धारित पदों की स्थिति और भी चिंताजनक है, जिसमें अनुसूचित जाति के 32.1% पद, अनुसूचित जनजाति के 40.3% पद, और अन्य पिछड़ा वर्ग के 41.8% पद खाली पड़े हैं। उन्होंने इस तथ्य को भी उजागर किया कि प्रोफ़ेसर श्रेणी में 55% पद खाली हैं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 71% शिक्षण पद रिक्त हैं।

गैर-शिक्षकों की स्थिति पर भी ध्यान आकर्षित करते हुए खड़गे ने बताया कि 35,640 गैर-शिक्षक पदों में से 47% पद खाली हैं, जो शिक्षा क्षेत्र में संसाधनों की भारी कमी की ओर इशारा करता है।

खड़गे ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि जो सरकार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के आरक्षण का हक छीन रही है, वही दूसरों को जन-कल्याण का पाठ पढ़ा रही है। उन्होंने इस स्थिति को सामाजिक न्याय के लिए हानिकारक बताते हुए केंद्र की नीतियों पर पुनर्विचार करने की मांग की।

इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है और मोदी सरकार पर बढ़ते दबाव को देखते हुए सरकार के जवाब का इंतजार है।

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