एक अद्भुत डेविड-गोलियत जैसी कहानी में, ब्रिटेन के एक दंपति, शिवौन और एडम रैफ, ने तकनीकी दिग्गज Google को चुनौती दी और एक ऐतिहासिक फैसले के तहत 21,824 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड जुर्माना हासिल किया। Google के प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार के कारण उनका व्यवसाय, Foundem, गंभीर रूप से प्रभावित हुआ।

शिवौन और एडम ने 2006 में Foundem की शुरुआत की थी, जो एक मूल्य-तुलना वेबसाइट थी। इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य विभिन्न साइट्स पर कीमतों की तुलना करके ऑनलाइन खरीदारी को सरल बनाना था। जून 2006 में लॉन्च होते ही वेबसाइट ने गति पकड़ी, लेकिन जल्द ही Google द्वारा लगाए गए दंड के कारण इसकी रैंकिंग गिर गई, जिससे वेबसाइट की खोज परिणामों में दिखने की क्षमता कम हो गई।

Google के इस दंड का मतलब था कि Foundem की वेबसाइट को “प्राइस कम्पेरिजन” और “कम्पेरिजन शॉपिंग” जैसे महत्वपूर्ण कीवर्ड्स पर खोज परिणामों में नीचे कर दिया गया। इससे उनके व्यवसाय पर गंभीर असर पड़ा और वेबसाइट का राजस्व गिरने लगा। इस स्थिति के बारे में एडम ने कहा, “हमने अपनी रैंकिंग को तुरंत गिरते देखा।”

इस अन्यायपूर्ण स्थिति के खिलाफ, रैफ दंपति ने यूके, यूएस और फिर ब्रुसेल्स में विभिन्न नियामक एजेंसियों के पास शिकायत दर्ज कराई। उनकी लगातार कोशिशों का फल 2010 में मिला, जब यूरोपीय आयोग (EC) ने Google के खिलाफ जांच शुरू की।

2017 में, यूरोपीय आयोग ने Google को बाजार में अपनी ताकत के दुरुपयोग का दोषी पाया और 2.4 बिलियन यूरो (लगभग 21,824 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया। यह मामला वैश्विक स्तर पर Big Tech नियमन में मील का पत्थर साबित हुआ।

हालांकि, Google ने इस फैसले के खिलाफ कई बार अपील दायर की, जिससे कानूनी लड़ाई सालों तक खिंच गई। अंततः सितंबर 2024 में यूरोप की शीर्ष अदालत ने EC के पहले के फैसले को सही ठहराया, जिससे Google के खिलाफ अंतिम निर्णय आया।

इस अंतिम फैसले के बावजूद, Google का कहना है कि इसके वर्तमान व्यापारिक तरीके नियमों का पालन करते हैं। इस बीच, यूरोपीय आयोग ने Google की पैरेंट कंपनी, Alphabet, की भी नए Digital Markets Act के तहत जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं इसके मौजूदा व्यवहार प्रतिस्पर्धा-विरोधी तो नहीं हैं।

रैफ दंपति के लिए यह लड़ाई अभी भी खत्म नहीं हुई है। 2016 में Foundem को बंद करने के बाद भी, वे अभी Google के खिलाफ नागरिक हर्जाने का दावा कर रहे हैं, जिसकी सुनवाई 2026 में शुरू होने की उम्मीद है। यह कठिन यात्रा रही है, लेकिन रैफ दंपति ने टेक मोनोपॉलीज के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने की प्रतिबद्धता दिखाई है।

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