केन्या के उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारत की अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस और राज्य के स्वामित्व वाली केन्या इलेक्ट्रिकल ट्रांसमिशन कंपनी (केईटीआरएसीओ) के बीच हुए $736 मिलियन के समझौते पर रोक लगा दी है। इस समझौते का उद्देश्य बिजली के बुनियादी ढांचे का निर्माण और संचालन करना, जिसमें ट्रांसमिशन लाइनों की स्थापना भी शामिल है।
यह सार्वजनिक-निजी साझेदारी समझौता इस महीने की शुरुआत में केईटीआरएसीओ और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस के बीच हुआ था। 11 अक्टूबर को ऊर्जा मंत्रालय ने कहा था कि यह समझौता केन्या में लगातार बिजली संकट को दूर करने और आर्थिक विकास को समर्थन देने में मदद करेगा।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि सरकार इस 30-वर्षीय समझौते को तब तक आगे नहीं बढ़ा सकती जब तक कि अदालत के सामने विचाराधीन मामले में अंतिम निर्णय नहीं आता। इस मामले को केन्या के लॉ सोसाइटी ने दायर किया है, जिसमें इस समझौते को “संवैधानिक ढकोसला” और “गोपनीयता से भरा” बताया गया है।
इस मामले की अगली सुनवाई में अदालत यह निर्णय करेगी कि यह समझौता कानून और संविधान के अनुरूप है या नहीं।