गुजरात के वडगाम से कांग्रेस के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक गंभीर बयान जारी किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि उनकी, उनके परिवार के किसी सदस्य, या टीम के किसी साथी की हत्या होती है, तो इसके लिए सीधे तौर पर IPS अधिकारी राजकुमार पांडियन ज़िम्मेदार होंगे।

मेवाणी ने अपने बयान में कहा कि पांडियन, जो फर्जी एनकाउंटर के मामले में पहले 7 साल की जेल की सजा काट चुके हैं, का चरित्र पूरा गुजरात जानता है। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी भी हालत में गुजरात और देश के दलित, पिछड़े और बहुजन समाज के आत्म-सम्मान की लड़ाई नहीं छोड़ेंगे, चाहे उन पर किसी भी तरह का दबाव क्यों न डाला जाए।

मेवाणी का यह बयान काफी चर्चा में है, और इसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। पांडियन, जो गुजरात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी हैं, पहले सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर मामले में जेल में रह चुके हैं, लेकिन बाद में अदालत से उन्हें राहत मिल गई थी।

विधायक जिग्नेश मेवाणी और कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष हितेश पिथाडिया हाल ही में दलित समुदाय की चिंताओं को लेकर एडीजी (एडिशनल डायरेक्टर जनरल) राजकुमार पांडियन से मिलने पहुंचे थे। मुलाकात के दौरान एडीजी पांडियन ने उनसे अपने मोबाइल फोन कार्यालय के बाहर छोड़ने के लिए कहा, जिससे टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई।

मेवाणी ने इस निर्देश पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या सरकार ने इस बारे में कोई सर्कुलर या नोटिस जारी किया है, क्योंकि अधिकांश सरकारी कार्यालयों में फोन ले जाने की अनुमति होती है। इसी सवाल-जवाब के दौरान बहस शुरू हो गई, जो बाद में तीखी नोकझोंक में बदल गई।

इस घटना के बाद, मेवाणी ने एक लिखित शिकायत दायर की और एडीजी राजकुमार पांडियन के खिलाफ एक विस्तृत जांच की मांग की। यह घटना इसलिए भी खास है क्योंकि पांडियन का नाम पहले सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर मामले में जुड़ा था, और उन्होंने इस मामले में 7 साल जेल की सजा काटी थी।

विधायक मेवाणी, जो दलित अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए जाने जाते हैं, ने इस घटना के जरिए पांडियन पर सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए हैं और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। अब इस मामले में सरकार और पुलिस प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार है, जो राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर सकती है।

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