हसदेव अरण्य में आदिवासी समुदाय के जल, जंगल और ज़मीन से जुड़े अधिकारों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया है कि हसदेव अरण्य में पुलिस बल का हिंसक प्रयोग आदिवासियों के मौलिक अधिकारों का खुला हनन है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की ज़मीन और जंगल को जबरन छीनने के प्रयास आदिवासी समाज के लिए अत्यंत पीड़ादायक हैं।
राहुल गांधी ने अपने बयान में छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस शासन के दौरान सर्वसम्मति से पारित उस प्रस्ताव का जिक्र किया, जिसमें हसदेव के जंगलों को न काटने का संकल्प लिया गया था। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर विपक्ष, यानी भाजपा ने भी अपनी सहमति दी थी, लेकिन अब भाजपा सत्ता में आने के बाद इस प्रस्ताव को पूरी तरह नजरअंदाज कर रही है।
उन्होंने भाजपा को “बहुजन विरोधी” करार देते हुए आरोप लगाया कि भाजपा अपने स्वार्थ और पूंजीपति मित्रों के फायदे के लिए आदिवासियों के अधिकारों और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है। राहुल गांधी ने कहा कि हसदेव अरण्य का मसला सिर्फ छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर के भाजपा शासित राज्यों में आदिवासी अधिकारों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। उन्होंने भाजपा सरकार पर आदिवासी समुदायों के खिलाफ षड्यंत्र रचने और उनके जल, जंगल, ज़मीन पर कब्जा करने की कोशिशों का आरोप लगाया।
राहुल गांधी ने कांग्रेस की ओर से यह वादा किया कि उनकी पार्टी हर कीमत पर आदिवासी भाइयों और बहनों के जल, जंगल और ज़मीन की रक्षा करेगी। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब हसदेव अरण्य में आदिवासी समुदाय के अधिकारों और वहां चल रहे खनन परियोजनाओं को लेकर विरोध तेज हो रहा है।
हसदेव अरण्य में खनन गतिविधियों के कारण हजारों हेक्टेयर जंगल को काटे जाने की योजना है, जिसके विरोध में स्थानीय आदिवासी समुदाय लंबे समय से संघर्ष कर रहा है। आदिवासियों का कहना है कि यह न केवल उनके पारंपरिक जीवन और अधिकारों का हनन है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है।
राहुल गांधी के इस बयान से एक बार फिर हसदेव अरण्य का मुद्दा राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गया है, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है।