बिहार में हालिया जहरीली शराब त्रासदी ने राज्य को झकझोर कर रख दिया है। पिछले 4 दिनों में 36 लोगों की मौत हो चुकी है, जो बिहार में शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब के सेवन से हो रही मौतों की संख्या को और बढ़ाता है। यह घटना राज्य के सिवान और सारण जिलों में केंद्रित है, जहां बड़ी संख्या में लोग जहरीली शराब पीने से अपनी जान गंवा चुके हैं।
सिवान जिले में जहरीली शराब पीने से अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा, 3 अन्य लोग गंभीर स्थिति में हैं, जिनमें से एक को पटना रेफर किया गया है। शेष 2 का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है।
सिवान के साथ-साथ सारण जिले के छपरा में भी जहरीली शराब के सेवन से 2 लोगों की मौत की खबर आई है, जबकि 2 अन्य की तबियत बिगड़ गई है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यह घटना भगवानपुर थाना क्षेत्र के कौड़ियां पंचायत के वैश्य टोला और आसपास के गांवों में हुई। स्थानीय निवासियों का दावा है कि इस घटना में 10 से अधिक लोग जहरीली शराब पीने से मर चुके हैं।
प्रशासनिक कार्रवाई और स्थानीय विरोध
घटना के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। डीएम मुकुल कुमार गुप्ता और एसपी अमितेश कुमार मौके पर पहुंचकर मामले की जांच कर रहे हैं। इस बीच, ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की, आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस को अवैध शराब के कारोबार की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है, लेकिन इसके बावजूद अवैध शराब की तस्करी और बिक्री लगातार जारी है। स्थानीय निवासियों और विपक्षी दलों ने सरकार की शराबबंदी नीति की विफलता पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि प्रशासन अवैध शराब के कारोबार को रोकने में असफल रहा है, जिससे लोगों की जान जा रही है।
प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस मामले की जांच कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। हालांकि, बार-बार हो रही इन घटनाओं ने राज्य की शराबबंदी नीति और उसकी प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।