2024 के नोबेल शांति पुरस्कार जीतने के बाद जापानी एंटी-न्यूक्लियर समूह निहोन हिडनक्यो के सह-अध्यक्ष तोशियुकी मिमाकी ने अपनी प्रतिक्रिया में आश्चर्य व्यक्त किया। मिमाकी, जो हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों से बचे हैं, पुरस्कार से भावुक तो हुए, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि यह पुरस्कार उन लोगों को मिलेगा जो फिलहाल गाज़ा में शांति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मिमाकी ने गाज़ा में हो रही त्रासदी की तुलना जापान में 80 साल पहले हुई परमाणु तबाही से की। यह बयान उनके युद्ध में फंसे निर्दोष नागरिकों के प्रति सहानुभूति को दर्शाता है और निहोन हिडनक्यो की शांति के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर करता है, जो परमाणु हथियारों के उन्मूलन के लिए काम कर रहा है।

मिमाकी ने इस तथ्य पर जोर दिया कि उनकी संस्था का कार्य तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब दुनिया में परमाणु संघर्ष का खतरा बढ़ रहा है, विशेष रूप से मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों में। हालांकि निहोन हिडनक्यो का ध्यान परमाणु निरस्त्रीकरण पर है, मिमाकी ने गाज़ा में शांति की तात्कालिकता को स्वीकार किया, जहां नागरिक सैन्य संघर्ष के कारण भारी संकट झेल रहे हैं।

नोबेल समिति ने निहोन हिडनक्यो को परमाणु हथियारों के खिलाफ उनकी दशकों पुरानी मुहिम के लिए सम्मानित किया, जो एक अस्थिर दुनिया में परमाणु निरस्त्रीकरण के महत्व को दर्शाता है। यह पुरस्कार ऐसे समय में दिया गया है, जब यूक्रेन और मध्य पूर्व सहित कई क्षेत्रों में परमाणु संघर्ष का खतरा बढ़ रहा है ।

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