गिरफ़्तार एन आई ए के डीएसपी  अजय प्रताप सिंह

बिहार के गया जिले में एक बड़ा भ्रष्टाचार कांड सामने आया है, जिसमें एनआईए के डीएसपी अजय प्रताप सिंह को सीबीआई ने घूसखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी जदयू की पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी के घर पर हुई छापेमारी से जुड़े मामले में हुई है। मनोरमा देवी के बेटे, रॉकी यादव ने डीएसपी पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई।

छापेमारी और रिश्वत की मांग

सितंबर 2024 में एनआईए की एक टीम ने गया स्थित मनोरमा देवी के घर पर छापेमारी की थी, जहां से 4.3 करोड़ रुपये नकद और हथियार बरामद किए गए थे। इस छापेमारी का नेतृत्व एनआईए पटना शाखा के डीएसपी अजय प्रताप सिंह ने किया था। छापेमारी के बाद, डीएसपी ने रॉकी यादव से 3 करोड़ रुपये की मांग की, धमकी दी कि अगर रकम नहीं दी गई तो उन्हें नक्सली मामलों में फंसा दिया जाएगा।

घूस की डील और सीबीआई का हस्तक्षेप

मूल रूप से 3 करोड़ की मांग के बाद, बातचीत के बाद 70 लाख रुपये में डील तय हुई। रॉकी यादव ने यह मामला सीबीआई के सामने रखा, जिसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की। एक स्टिंग ऑपरेशन के तहत, सीबीआई ने अजय प्रताप सिंह और उनके दो साथियों को 20 लाख रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया ।

गिरफ्तारी और कार्रवाई

इस मामले में सीबीआई ने अजय प्रताप सिंह के अलावा उनके दो एजेंटों को भी गिरफ्तार किया। इस गिरफ्तारी के बाद एनआईए और सीबीआई दोनों ने मिलकर सिंह के घर और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की। यह मामला एनआईए के एक उच्च अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग करने का एक गंभीर उदाहरण बन गया है।

राजनीतिक विवाद

इस घटना के बाद, मनोरमा देवी के परिवार ने इस पूरे मामले में एक बड़े राजनीतिक षड्यंत्र की आशंका जताई है। उनके पीए का कहना है कि यह कार्रवाई किसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी द्वारा करवाई गई हो।

यह मामला न केवल बिहार में, बल्कि पूरे देश में एनआईए जैसी प्रतिष्ठित संस्था की छवि पर सवाल खड़े करता है।

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