हाल ही में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने 13 छात्रों को निलंबित कर दिया, जो आईआईटी-बीएचयू में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। इन छात्रों ने बीजेपी से जुड़े आरोपियों की गिरफ्तारी और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग की थी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों पर “अनुशासनहीनता” और “शैक्षिक माहौल को बाधित करने” का आरोप लगाते हुए 15 से 30 दिनों के लिए निलंबन का आदेश दिया है। इस फैसले ने छात्र संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है।

यह घटना नवंबर 2023 में घटी थी, जिसमें तीन आरोपियों—कुनाल पांडे, अभिषेक चौहान, और सक्षम पटेल—पर पीड़िता के साथ जबरन बलात्कार करने और अश्लील वीडियो बनाने का आरोप है। पीड़िता के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई, और बाद में इन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। हालांकि, इन आरोपियों के बीजेपी से जुड़े होने के कारण प्रशासनिक कार्रवाई में देरी और उन्हें मिली जमानत पर सवाल उठाए जा रहे हैं ।

छात्रों का कहना है कि वे शांति से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन एबीवीपी के सदस्यों ने उनके प्रदर्शन में बाधा डाली, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी । विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी, ने बीजेपी और उत्तर प्रदेश सरकार पर अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह घटना बीजेपी के “चाल, चरित्र और चेहरे” को उजागर करती है, जहां अपराधियों को सजा देने के बजाय उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है ।

बीएचयू प्रशासन के इस कदम को लेकर छात्र संगठनों का मानना है कि यह आवाज उठाने वालों को दबाने की कोशिश है और इससे महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

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