दिल्ली पुलिस ने लद्दाख से दिल्ली की ओर आ रहे “दिल्ली चलो पदयात्रा” के नेताओं और सदस्यों को राजधानी में प्रवेश करने से रोक दिया। इस पदयात्रा का नेतृत्व पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक कर रहे थे, और इसे महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर को राजघाट पर समाप्त होना था। पदयात्रा 1 सितंबर को लद्दाख के लेह से शुरू हुई थी और इसका उद्देश्य लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर ध्यान आकर्षित करना था।
इस पदयात्रा के माध्यम से लद्दाख के लोगों की मुख्य मांग यह है कि उन्हें संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत विशेष दर्जा प्रदान किया जाए, जिससे उनकी सांस्कृतिक और पारिस्थितिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की भी मांग की जा रही है। यह आंदोलन मुख्य रूप से लद्दाख के संसाधनों और जनजातीय संस्कृति की रक्षा के लिए किया जा रहा है, जो विशेष दर्जे के अभाव में संकट में है।
दिल्ली बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात
दिल्ली की सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और कई नेताओं और सदस्यों को हिरासत में लिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लद्दाख से आए प्रदर्शनकारियों को दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने से रोक दिया गया और उन्हें हिरासत में लिया गया।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि वे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार, राजधानी में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था को रोकने के लिए सुरक्षा के ये उपाय आवश्यक थे।
लद्दाख के पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने X (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि उन्हें और उनके साथ 150 पदयात्रियों को दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। वांगचुक के अनुसार, उन्हें एक बड़ी पुलिस फोर्स द्वारा रोका गया, जिसमें सैकड़ों पुलिसकर्मी शामिल थे, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार संख्या 1,000 तक थी।
उनके साथ पदयात्रा में 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग और कुछ दर्जन सेना के पूर्व सैनिक भी थे। उन्होंने बताया कि उनकी “शांतिपूर्ण यात्रा” का उद्देश्य महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर जाकर देश को लद्दाख और हिमालय की सुरक्षा के लिए संदेश देना था। सोनम ने यह भी कहा, “हमारी किस्मत अब अज्ञात है… हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बापू की समाधि की ओर सबसे शांतिपूर्ण यात्रा पर थे।”
राहुल गांधी की तीखी प्रतिक्रिया
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला करते हुए लद्दाख के पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक और सैकड़ों लद्दाखियों की हिरासत पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “सोनम वांगचुक जी और सैकड़ों लद्दाखियों का पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च करना और फिर उन्हें हिरासत में लिया जाना अस्वीकार्य है।”
राहुल गांधी ने यह सवाल उठाया कि क्यों दिल्ली बॉर्डर पर बुजुर्ग नागरिकों को लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने पर हिरासत में लिया जा रहा है। उन्होंने मोदी सरकार की किसानों के साथ की गई कार्यवाहियों की तुलना करते हुए कहा, “मोदी जी, जिस तरह किसानों के साथ हुआ, इस ‘चक्रव्यूह’ को भी तोड़ा जाएगा, और आपकी अहंकार भी। आपको लद्दाख की आवाज सुननी पड़ेगी।”
राहुल गांधी की यह आलोचना उस व्यापक विरोध का हिस्सा है, जो लद्दाख के लिए संवैधानिक संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण की मांगों को लेकर जोर पकड़ रहा है।