सुप्रीम कोर्ट ने एक दलित छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे IIT धनबाद में प्रवेश देने का आदेश दिया है। यह मामला तब उठा जब छात्र को फीस जमा करने में हुई मामूली देरी के कारण प्रवेश से वंचित कर दिया गया। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह छात्र बेहद प्रतिभाशाली है और उसे सिर्फ 17,000 रुपये की कमी के कारण प्रवेश से वंचित नहीं किया जा सकता।

मुख्य न्यायाधीश मानवीय दृष्टि रखते हुए कहा कि छात्र की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसे मौका मिलना चाहिए। छात्र को सीट आवंटित की गई थी, लेकिन 24 जून को 5 बजे के बाद पोर्टल बंद हो जाने के कारण वह फीस जमा नहीं कर सका। CJI ने कहा कि छात्र ने फीस जमा करने के लिए सभी प्रयास किए थे और यह उसका अंतिम मौका था, क्योंकि केवल दो प्रयास की अनुमति होती है। 

IIT बॉम्बे के JEE एडवांस्ड कार्यालय से 26 जून को प्राप्त जवाब में छात्र को IIT मद्रास का रुख करने के लिए कहा गया था। मद्रास हाईकोर्ट ने छात्र को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की सलाह दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्र को IIT धनबाद में उसी बैच में प्रवेश दिया जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि एक अतिरिक्त सीट (सुपरन्यूमरेरी सीट) बनाई जाए ताकि किसी अन्य छात्र को नुकसान न हो। 

 याचिका में खुलासा हुआ कि छात्र के पिता एक दैनिक मजदूर हैं और परिवार की आय गरीबी रेखा से नीचे (BPL) है। कोर्ट ने यह भी कहा कि छात्र को सभी आवश्यक सुविधाएं, जैसे हॉस्टल आवंटन, दी जाए।

सुनवाई के दौरान, अदालत को बताया गया कि वरिष्ठ वकील छात्र की फीस का भुगतान करने के लिए आगे आए हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के साथ, छात्र को IIT धनबाद में प्रवेश मिलेगा और उसके शैक्षिक भविष्य की राह फिर से खुल गई है। CJI ने छात्र को शुभकामनाएं दीं और कहा, “अच्छा करिए! ऑल द बेस्ट!”

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि एक प्रतिभाशाली छात्र को आर्थिक कठिनाइयों के कारण शिक्षा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

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