कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच पर 22 अक्टूबर तक रोक लगा दी है। यह एफआईआर कथित रूप से चुनावी बांड के माध्यम से धन उगाही के आरोपों से संबंधित है। यह रोक पूर्व राज्य बीजेपी अध्यक्ष नलीन कुमार कटील द्वारा दायर याचिका के बाद आई, जो इस मामले में सह-आरोपी हैं।
आरोपकर्ता आदर्श अय्यर ने शिकायत की थी कि सरकारी एजेंसियों, जैसे प्रवर्तन निदेशालय (ED), का उपयोग कंपनियों को डराने और उन्हें चुनावी बांड खरीदने के लिए मजबूर करने के लिए किया गया था।
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा कि प्रतिवादी द्वारा आपत्ति दर्ज करने तक जांच की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। न्यायालय ने यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 383 के अंतर्गत जबरन वसूली साबित करने के लिए, शिकायतकर्ता को डराया जाना चाहिए और संपत्ति आरोपी को सौंपी जानी चाहिए, जो इस मामले में नहीं हुआ है।
कटील के वकील के.जी. राघवन ने दलील दी कि चुनावी बांड में पैसा डालना कानून की नजर में जबरन वसूली नहीं हो सकता, जबकि शिकायतकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर ED की छापेमारी की धमकी देकर कंपनियों को चुनावी बांड खरीदने के लिए मजबूर किया गया, तो यह जबरन वसूली का स्पष्ट मामला है।