दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद अपनी पहली सार्वजनिक सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर सवाल उठाने के बाद अब संघ प्रमुख मोहन भागवत को एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में केजरीवाल ने देश के हालात और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की राजनीति से देश को जिस दिशा में ले जाया जा रहा है, उस पर चिंता व्यक्त की है।
पत्र में केजरीवाल ने कहा, “मैं यह पत्र एक राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि एक चिंतित नागरिक के रूप में लिख रहा हूँ।” उन्होंने अपने सार्वजनिक संबोधन में कही गई बातों को दोहराते हुए RSS से सवाल किया कि क्या संघ BJP की उस राजनीति से सहमत है जिसमें केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर पार्टियों को तोड़ा जा रहा है और विपक्षी सरकारों को गिराया जा रहा है। केजरीवाल ने लिखा, “मोदी जी जिस तरह से देश भर में पार्टियों को तोड़ रहे हैं और ED और CBI के जरिए सरकारों को गिरा रहे हैं, क्या यह स्वीकार्य है? मोदी जी ने अपने दल में सबसे भ्रष्ट नेताओं को शामिल कर लिया है, जिन्हें खुद उन्होंने भ्रष्ट कहा था, क्या आप ऐसी राजनीति से सहमत हैं?”
पत्र में केजरीवाल ने RSS से सवाल किया कि क्या संगठन ने BJP को भटकने से रोकने की कोशिश की है। उन्होंने RSS को ‘मास्टर’ और BJP को ‘शिष्य’ बताया, और कहा कि RSS की यह जिम्मेदारी है कि वह BJP को सही रास्ते पर रखे। “क्या आपने कभी मोदी जी को गलत काम करने से रोका है?”
पत्र में केजरीवाल ने BJP अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के एक बयान का भी जिक्र किया, जिसमें नड्डा ने कहा था कि लोकसभा चुनावों के दौरान BJP को RSS की जरूरत नहीं है। केजरीवाल ने लिखा, “बेटा इतना बड़ा हो गया है कि अब वह अपनी मां जैसी संस्था पर नाराजगी दिखाने लगा है। जब नड्डा ने यह कहा, तो क्या आपको दुख नहीं हुआ?”
इसके अलावा, केजरीवाल ने सवाल किया कि RSS ने यह कानून बनाया कि नेता 75 साल की उम्र के बाद सेवानिवृत्त होंगे, लेकिन अब अमित शाह कह रहे हैं कि यह नियम मोदी जी पर लागू नहीं होगा। “जो नियम आडवाणी जी पर लागू हुआ, वह मोदी जी पर क्यों नहीं लागू होगा?”
केजरीवाल ने यह भी कहा कि उन्होंने राजनीति में देश की सेवा करने के लिए प्रवेश किया था, न कि सत्ता या पद की लालसा के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों से आहत होकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, और पिछले 10 वर्षों में उन्होंने केवल सम्मान कमाया है, न कि धन।
यह पत्र राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, और इसके बाद BJP और RSS की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।