फर्जी दवा आपूर्ति घोटाले में 1,200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल

नागपुर ग्रामीण पुलिस द्वारा 20 सितंबर को दाखिल की गई 1,200 पन्नों की चार्जशीट में फर्जी दवाओं की आपूर्ति का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सरकारी अस्पतालों को वितरित की गई एंटीबायोटिक्स असल में टैल्कम पाउडर और स्टार्च का मिश्रण थीं, जो हरिद्वार स्थित एक पशु चिकित्सा प्रयोगशाला में बनाई गई थीं। 

जांच में पता चला है कि इन फर्जी दवाओं को पूरे देश में, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, और महाराष्ट्र के अस्पतालों में सप्लाई किया गया था। इस घोटाले के पीछे हवाला के माध्यम से करोड़ों रुपये का लेन-देन भी हुआ, जिसमें मुंबई से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर तक पैसा भेजा गया।

यह मामला दिसंबर पिछले साल तब सामने आया जब फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के ड्रग इंस्पेक्टर नितिन भंडारकर ने पाया कि कलमेश्वर के ग्रामीण अस्पताल में वितरित एंटीबायोटिक्स नकली थीं। इस मामले में नागपुर ग्रामीण पुलिस द्वारा विस्तृत जांच की जा रही है और कई अन्य स्थानों पर भी इसी तरह के मामले दर्ज किए गए हैं। 

इस मामले में प्रमुख आरोपियों में हेमंत मुले, मिहिर त्रिवेदी और विजय चौधरी का नाम सामने आया है। चौधरी को एक अन्य मामले में पहले ही जेल में बंद किया गया था, लेकिन इस नए मामले में पुलिस ने उसकी कस्टडी ली। चौधरी की पूछताछ के बाद पुलिस ने हरियाणा और उत्तराखंड में छापेमारी की, जहां अन्य आरोपी जैसे गगनसिंह, रॉबिन तनेजा और अमित धीमान का नाम सामने आया। 

यह मामला भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है, जहां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।

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