SBI द्वारा दिवालिया कंपनी सुप्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड (SIIL) के ऋण को इक्विटी में बदलने पर कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने जताई गहरी चिंता

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड (SIIL) में अपने बकाया ऋण को इक्विटी में बदलने का निर्णय लिया है, जिससे देश के कॉर्पोरेट ऋण परिदृश्य में गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेसी नेता और थिंक टैंक जयराम रमेश ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, इसे सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की संभावनाओं से जोड़ते हुए इसे भारतीय दिवालियापन समाधान प्रक्रिया की असफलता बताया।

मुख्य बिंदु:
1. ऋण पर भारी छूट: SBI सहित अन्य ऋणदाताओं ने सुप्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में 93.45% का हेयरकट लिया है, यानी उन्होंने अपने बकाया ऋण का एक बड़ा हिस्सा माफ कर दिया है।

2. अनैतिक मिसाल: जयराम रमेश के अनुसार, यह डील एक खतरनाक मिसाल कायम करेगी। इससे अन्य डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों को यह प्रेरणा मिलेगी कि वे डिफॉल्ट करने के बाद भी ऐसी डील की तलाश करें, जहां वे नियंत्रण और मूल्य बनाए रख सकें।

3. सार्वजनिक धन का सवाल: रमेश ने SBI की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि बैंक ने सार्वजनिक धन की वसूली के बजाय डिफॉल्ट करने वाले उधारकर्ताओं के हितों को तरजीह दी है। यह कदम ऋण समाधान के प्रति सार्वजनिक बैंकों के दृष्टिकोण में अनुशासनहीनता का संकेत देता है।
4. नियामक जांच की मांग: रमेश ने RBI से इस असामान्य ऋण-इक्विटी परिवर्तन और SBI की निर्णय प्रक्रिया की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह मामला वित्तीय प्रणाली में नैतिक ख़तरे पैदा कर सकता है और इसकी तत्काल जांच होनी चाहिए।

इस प्रकार, जयराम रमेश ने इस डील को भारतीय बैंकों के भविष्य में गंभीर समस्याओं का सूचक बताया है, और इसका समाधान नियामक सख्ती से करने की आवश्यकता जताई है।

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