हाल ही में आईएएस अधिकारी संजीव हंस की संपत्तियों और उनकी आय से अधिक खर्चों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजीव हंस की आधिकारिक आय 5.47 करोड़ रुपये है, जबकि उनके पास दिल्ली में 9.6 करोड़ रुपये का एक महंगा फ्लैट है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश में उनके पिता और साले के नाम पर एक-एक विला होने की जानकारी भी सामने आई है।
आय और संपत्तियों के बीच इस भारी असमानता ने हंस की संपत्ति की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी सेवा में रहते हुए इतनी बड़ी संपत्तियों का अधिग्रहण करना संदेहास्पद माना जा रहा है। नियमों के मुताबिक, एक सरकारी अधिकारी की संपत्तियाँ उसकी आय के अनुसार होनी चाहिए, लेकिन संजीव हंस के मामले में उनकी संपत्तियों और आय के बीच का अंतर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
संजीव हंस के नाम पर दिल्ली में 9.6 करोड़ रुपये का फ्लैट है, जो उनकी आधिकारिक आय से कहीं अधिक है। यह फ्लैट उच्च-स्तरीय और महंगी संपत्ति मानी जाती है, जो इस बात की ओर इशारा करती है कि हंस की आय के अलावा भी उनके पास अन्य स्रोत हो सकते हैं।
इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश में उनके पिता और साले के नाम पर एक-एक विला होने की बात भी सामने आई है। ये विला भी आलीशान और महंगी संपत्तियाँ मानी जा रही हैं। यह सवाल उठता है कि इन संपत्तियों का अधिग्रहण कैसे और किस तरह से किया गया?
1997 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी संजीव हंस इस समय भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते गंभीर जांच के दायरे में हैं। हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए छापेमारी की। इन छापों के दौरान उनके ठिकानों से भारी मात्रा में नकदी और मूल्यवान धातुएं बरामद की गईं।
छापेमारी में मिली संपत्तियाँ:
ईडी द्वारा दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के 5 स्थानों पर 10, 11 और 12 सितंबर को की गई छापेमारी में निम्नलिखित संपत्तियाँ बरामद की गईं:
13 किलो चांदी के बुलेयन(लगभग 11 लाख रुपये मूल्य)
87 लाख रुपये की अवैध नकदी
2 किलो सोने के बुलेयन और आभूषण (लगभग 1.5 करोड़ रुपये मूल्य)
ये छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत की गई। इन संपत्तियों की बरामदगी के बाद संजीव हंस के खिलाफ भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर जांच तेज हो गई है।
इन संपत्तियों और हंस की आय के बीच बड़े अंतर को देखते हुए अब जाँच की मांग की जा रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकारी एजेंसियाँ इस मामले की तहकीकात कर सकती हैं। आईएएस अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी संपत्तियों और आय की जानकारी पारदर्शी रूप से प्रस्तुत करें, और अगर इसमें कोई विसंगति पाई जाती है, तो कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
यह मामला देश में भ्रष्टाचार और संपत्ति अधिग्रहण से जुड़े मुद्दों को एक बार फिर से उजागर करता है। अब यह देखना बाकी है कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और जाँच के बाद क्या नतीजे सामने आते हैं।प्रवर्तन निदेशालय की इस कार्रवाई के बाद हंस के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है, और अब यह देखना बाकी है कि आगे की जांच में क्या खुलासे होते हैं और इस मामले का क्या नतीजा निकलता है।