चीनी फंड्स में निवेश पर सवाल
नई दिल्ली । कांग्रेस ने एक और गंभीर खुलासा किया कि सुश्री माधबी पी. बुच के पास 2017 से 2023 के बीच विदेशी संपत्तियों और निवेश की जानकारी है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा शनिवार को पत्रकार वार्ता के माध्यम से आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने सेबी प्रमुख रहते हुए 36.9 करोड़ रुपये की सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में व्यापार किया, जो सेबी की संहिता के तहत हितों के टकराव के नियमों का उल्लंघन करता है। इसके अलावा, उनके पास विदेशी संपत्तियों में निवेश और सिंगापुर स्थित कंपनी, एग्यारा पार्टनर्स पीटीई के साथ भी संबंध होने के आरोप हैं।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सुश्री बुच ने अमेरिका और चीन से जुड़े फंड्स में निवेश किया, जिसमें विशेष रूप से चीनी कंपनियों से जुड़े फंड्स शामिल थे। कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाए हैं कि सेबी प्रमुख होते हुए उन्होंने चीनी फंड्स में निवेश क्यों किया, खासकर ऐसे समय में जब भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेडा द्वारा जारी इस बयान ने देश के वित्तीय नियामक संगठन, सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की प्रमुख, सुश्री माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस पार्टी द्वारा लगाए गए इन आरोपों ने सेबी प्रमुख की प्रतिष्ठा और उनके कार्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोपों के मुताबिक, बुच ने अपने कार्यकाल के दौरान न केवल सत्ता का दुरुपयोग किया, बल्कि विदेशी संपत्तियों में निवेश और चीनी फंडों में शामिल होने के भी आरोप लगाए जा रहे हैं।
कांग्रेस ने २ सितंबर को खुलासा किया था कि सुश्री माधबी पी. बुच ने अपने सेबी कार्यकाल के दौरान आईसीआईसीआई बैंक और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से 16.8 करोड़ रुपये का भुगतान प्राप्त किया था। यह तब हो रहा था जब सेबी आईसीआईसीआई बैंक के खिलाफ शिकायतों की जांच कर रहा था। इसने हितों के टकराव और नैतिकता के उल्लंघन को लेकर कई सवाल उठाए। आईसीआईसीआई बैंक द्वारा जारी किए गए स्पष्टीकरण के बाद, नए तथ्य सामने आए कि इन भुगतानों में “सेवानिवृत्ति लाभ,” “ईएसओपी,” और “ईएसओपी पर टीडीएस” शामिल थे, लेकिन इन पर अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है।
कांग्रेस ने 6 सितंबर को खुलासा किया कि 2018 से 2024 के बीच, सुश्री बुच ने वॉकहार्ट लिमिटेड की सहयोगी कंपनी के माध्यम से सेबी की जांच के दायरे में आई कंपनियों से लाभ प्राप्त किया। इसके साथ ही, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सुश्री बुच ने झूठा दावा किया कि उनकी कंपनी, अग्यारा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड, सेबी में शामिल होने के बाद निष्क्रिय हो गई थी। लेकिन दस्तावेज़ों से पता चला है कि वह अभी भी कंपनी की 99% हिस्सेदारी रखती हैं और 2016-2024 के बीच सेबी-विनियमित कंपनियों से लगभग 2.95 करोड़ रुपये की आय प्राप्त की।
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि महिंद्रा एंड महिंद्रा, डॉ. रेड्डीज लैब और पिडिलाइट जैसी कंपनियों ने अग्यारा एडवाइजरी के माध्यम से भुगतान किया, जो सेबी के नियमों का उल्लंघन है। इस पर महिंद्रा एंड महिंद्रा से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि क्या उन्होंने सुश्री बुच या उनकी कंपनी को सीधे या परोक्ष रूप से बड़ी धनराशि का भुगतान किया।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे तीन सवाल पूछे हैं:
1. क्या प्रधानमंत्री इस बात से अवगत हैं कि सेबी प्रमुख सुश्री माधबी पी. बुच अप्रकाशित मूल्य संवेदनशील जानकारी रखते हुए सूचीबद्ध प्रतिभूतियों में व्यापार कर रही थीं?
2. क्या प्रधानमंत्री को पता है कि सुश्री बुच ने विदेशों में निवेश किया है और यदि हां, तो इसका खुलासा कब किया गया?
3. क्या प्रधानमंत्री को इस बात की जानकारी है कि सेबी प्रमुख ऐसे समय में चीनी फंड्स में निवेश कर रही हैं जब भारत और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव है?
यह मामला भारतीय नियामक व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है। कांग्रेस द्वारा लगाए गए इन आरोपों की जांच से यह पता चलेगा कि क्या सेबी प्रमुख ने अपने पद का दुरुपयोग किया है या नहीं। यदि ये आरोप सत्य पाए जाते हैं, तो यह न केवल सेबी बल्कि समूची वित्तीय प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गहरा असर डाल सकता है।