प्रधानमंत्री आवास योजना में अवैध वसूली का मामला
कोरबा । नगर पालिका परिषद कटघोरा के वार्ड क्रमांक चार के निवासी गोपेन्द्र कुमार पाण्डेय और उनकी धर्मपत्नी मेघा ने प्रेस वार्ता में वार्ड पार्षद पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि वार्ड पार्षद अर्चना अग्रवाल द्वारा उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है और उनकी पैतृक भूमि को लेकर बार-बार तहसील कार्यालय में शिकायत की जा रही है, जिससे उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है।
गोपेन्द्र पाण्डेय ने पत्रकारों के सामने आरोप लगाया कि पार्षद अर्चना अग्रवाल ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 50 हजार रुपये की मांग की और जब वह यह राशि नहीं दे पाए, तो उनके खिलाफ तहसील कार्यालय में बेजा कब्जा का आरोप लगाकर शिकायत कर दी। इस शिकायत के आधार पर तहसीलदार ने पहले स्टे जारी किया, लेकिन बाद में उनका पक्ष सुनने के बाद स्टे हटा दिया गया।
गोपेन्द्र पाण्डेय के अनुसार, उनकी पैतृक भूमि खसरा नंबर 800, 801/3 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें आवास स्वीकृत किया गया था। परंतु उनकी किस्त रोक दी गई , जबकि उनका घर निर्माण पूरा होने के करीब है। इसके बाद, तहसीलदार द्वारा स्टे हटाने के बावजूद, पार्षद ने फिर से बेजा कब्जा का आरोप लगाते हुए शिकायत की है, जिससे पाण्डेय और उनका परिवार अत्यधिक मानसिक तनाव में हैं। गोपेन्द्र पाण्डेय ने आरोप लगाया कि उनके भाई राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने पहले पार्षद अर्चना अग्रवाल को एक ट्रैक्टर ईंट और 10 बोरी सीमेंट उनकी क्षमता के अनुसार दिया था। इसके बावजूद, जब 50 हजार रुपये नहीं दिए गए, तो पार्षद ने उन्हें धमकी दी कि वह उन्हें परेशान करती रहेंगी। पाण्डेय ने कहा कि उनके परिवार, जिसमें बूढ़े माता-पिता भी शामिल हैं, को लगातार मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्होंने कटघोरा थाने में 29 अगस्त को शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन जब वहां से न्याय नहीं मिला, तो उन्होंने 10 सितंबर को एसपी कार्यालय में आवेदन दिया। अब तक न्याय न मिलने के कारण उन्होंने अपनी बात प्रेस के सामने रखी है। उन्होंने कहा कि पार्षद को चुनाव जिताने में उनका सहयोग रहा था और वह खुद भाजपा के एक छोटे कार्यकर्ता हैं। बावजूद इसके, उनके ही परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है।
गोपेन्द्र का यह मामला न केवल एक भूमि विवाद है, बल्कि यह इस बात का संकेत भी देता है कि राजनीतिक प्रभाव का किस तरह से दुरुपयोग किया जा सकता है। अब देखना यह है कि प्रशासन और न्यायिक संस्थाएँ इस मामले में क्या कदम उठाती हैं और गोपेन्द्र को न्याय मिल पाता है या नहीं।